दो देशों से रची गई साइबर क्राइम की साजिश; डिजिटल अरेस्ट, फर्जी सीबीआई, कस्टम और शेल कंपनी बनाकर इस तरह कमाए 159 करोड़
देश में साइबर अपराध और धोखाधड़ी के विभिन्न तरीकों का खुलासा प्रवर्तन निदेशालय की जांच में हुआ है। इसमें देखा गया है कि कैसे नकली सीबीआई और फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर अपराधी लोगों को ठगते हैं। इसके अलावा, बैंकिंग धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से जो धन कमाया गया, उसे शेल कंपनियों के जरिए निवेश करने का प्रयास किया गया है। यह सब मिलकर एक जटिल नेटवर्क का निर्माण करता है, जो आम नागरिकों को निशाना बनाता है।
साइबर धोखेबाजों ने फर्जी आईपीओ आवंटन और धोखाधड़ी वाले ऐप्स के माध्यम से शेयर बाजार में निवेश के लिए आकर्षक योजनाओं का लालच देकर निर्दोष व्यक्तियों को अपने जाल में फंसाया है। उच्च रिटर्न का वादा करके, ये अपराधी लोगों की मेहनत की कमाई को आसानी से हड़प लेते हैं। इसके लिए उन्होंने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का सहारा लिया है, जिससे उनकी पहुंच और भी बढ़ गई है।
हांगकांग और थाईलैंड जैसे देशो से चलता है सरगना
हांगकांग और थाईलैंड में स्थित साइबर अपराधियों ने भारत में एक गैंग का गठन किया है, जिसका उद्देश्य लोगों को ठगना है। इस गैंग ने 159.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है, जो इस बात का प्रमाण है कि साइबर अपराध कितना संगठित और व्यापक हो चुका है। इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि आम जनता को सुरक्षित रखा जा सके।
ईडी की करवाई
ईडी के अनुसार, डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर अपराध से संबंधित विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके लोगों को फर्जी 'फंड नियमितीकरण प्रक्रिया' के तहत कई शेल कंपनियों में बड़ी मात्रा में धन हस्तांतरित किया गया। आरोपियों ने फर्जी शेयर बाजार, निवेश और डिजिटल गिरफ्तारी जैसे तरीकों का सहारा लिया। ये मुख्य रूप से फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। इस तरीके को 'सूअर-कसाई' घोटाले के नाम से भी जाना जाता है।
नकली शेयर बाजार और निवेश के नाम पर करते है ठगी
नकली शेयर बाजार और निवेश घोटाले के माध्यम से, आरोपियों ने पीड़ितों को उच्च रिटर्न का आश्वासन दिया। उन्होंने नकली वेबसाइटों और भ्रामक व्हाट्सएप समूहों का सहारा लिया। कुछ समूह ऐसे बनाए गए थे जो प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों से जुड़े होने का आभास देते थे, जिससे लोगों का इन धोखेबाजों पर विश्वास बढ़ गया। आरोपियों ने नकली विज्ञापनों और मनगढ़ंत सफलता की कहानियों का उपयोग करके अपने जाल को और मजबूत किया। इस प्रकार, उन्होंने लोगों को धोखा देने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई, जिससे कई लोग उनके झांसे में आ गए और भारी नुकसान उठाना पड़ा।