फैस्टिवल सीजन में ऑनलाइन शांपिग करते समय रहे सावधान

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भोपाल। देश भर के साथ ही राजधानी भोपाल में साइबर ठग जालसाजी के लिये नए-नए तरीको का इस्तेमाल कर लोगो को अपना शिकार बनाते हुए खातो से मोटी रकम उड़ा रहे है। साइबर क्राइम ब्रांच ने पिछले छह महीनो में जहॉ सायबर ठगी की 26 एफआईआर दर्ज की है, वहीं इन मामलो में 54 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। इन दिनो साइबर जालसाजेा ने अपना नया ठिकाना सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म को बना रखा है। इनके जरिये वह आसानी से बेरोजगारो को ऑनलाइननिवेश कराने के नाम पर ठग रहे है। इसके साथ ही सस्ते दामों में आईफोन, वाहन, घरेलू सामान बेचने का ऐड देकर भी लोगो को ठग रहे हैं। 

 

केस-1

निशातपुरा इलाके में रहने वाली पूजा कुमारी (25) को वॉट्सऐप पर कॉल आया कि वह ऑनलाइन निवेश करती है, तो अच्छा कमीशन मिलेगा। जालसाज ने वॉट्सऐप पर लिंक भेजकर उन्हें इंस्टाग्राम के एक ग्रुप में जोड लिया। शुरूआत में पूजा से 5-5 हजार रुपए निवेश कराए गए बाद में युवती ने एक साथ डेढ़ लाख रुपये निवेश कर दिए। निवेश करने के बाद पूजा को कोई कमीशन नहीं मिला। जालसाजों ने रकम लेने के बाद इंस्टाग्राम पेज और फोन बंद कर दिए। युवती ठगो को दो लाख से अधिक की रकम दे चुकी थी। लंबी जॉच के बाद पुलिस ने 17 जून को केस दर्ज किया था। 

 

केस-2

भोपाल निवासी फरियादी द्वारा सायबर क्राइम को शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि उसने इंस्टाग्राम पर आईफोन का विज्ञापन देखकर एक आईफोन बुक किया था। उसे वॉट्सएप नंबर पर पेमैंट का लिंक आया था। जालसाजों ने कस्टम ड्यूटी और रिफंड आदि का झांसा देकर 1 लाख 88 हजार 999 रु की ठगी की थी। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने इंस्टाग्राम पर कम कीमत पर मंहगे मोबाइल बेचने का विज्ञापन देने के लिए इंस्टाग्राम पर इंटरग्रटी मोबाइल नाम का पेज बनाया था। यहां संपर्क के लिए वाट्सएप मोबाइल नंबर दिया जाता था। जो ग्राहक नंबर पर संपर्क करता था उससे आरोपी कम कीमत पर मंहगे मोबाइल देने की डील फायनल करते थे। इसके बाद वह रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर 5999 रुपये जमा करा लेते थे। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

 

साइबर जालसाज इस तरह वारदात को देते हैं अंजाम

सायबर सेल अफसरो के अनुसार जालसाज फर्जी सिम का इस्तेमाल कर फर्जी इंस्टाग्राम आईडी बनाते हैं। इसके बाद यूजर्स को लालच देने वाली पोस्ट डालकर फॉलोअर्स बढ़ाते हैं। पेज पर महंगे आई-फोन सस्ते में बेचने का विज्ञापन देते हैं। जब कोई यूजर फोन खरीदने में रुची दिखाता है, तब आरोपी उससे फर्जी वॉट्सऐप नंबर के जरिए संपर्क करते है, फिर लिंक भेज कर एडवांस राशि के रूप में कुछ पैसे खाते में डलवा लेते हैं। इसके बाद मोबाइल बुक होने का बहाना बनाकर डिलीवरी एड्रेस पर भेजने के नाम पर राशि फर्जी खातों में डलवा ली जाती थी। इसके बाद कस्टम डयूटी, जीएसटी, रिफंड पॉलिसी और विभिन्न प्रकार के चार्ज के नाम पर जालसाज खातों में रकम डलवा कर फर्जी इंस्टाग्राम आईडी, पेज और वॉट्सऐप नंबर और अपना मोबाइल बंद कर लेते है। 

 

पहचान छुपाने के लिए क्यूआर कोड से ठगी

इतना ही नही शातिर ठग अब क्विक रिस्पॉन्स (क्यूआर) कोड भेजकर लोगों को ठग रहे हैं। जालसाज सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम, वॉट्सएंप जैसे ऐप्स पर क्यूआर कोड भेजकर रकम ले लेते हैं, फिर दूसरे खाते में ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते हैं। इससे पैसों की ऑनलाइन ट्रेल टूट जाती है। क्यूआर कोड में रकम लेने वाले का सिर्फ यूपीआई ही आता है, बाकी अन्य जानकारी नहीं मिल पाती है। 

 

छह महा में दर्ज हुई 26 एफआईआर, 54 ठग पकड़ाये 

इसी साल जनवीर से लेकर जून माह तक सायबर ठगो के शिकार 26 लोगो ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिनमें पुलिस ने 54 आरोपियो को दबोचा था। 

 

सायबर सेल की एडवायजरी

-इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया ऐप पर लिंक के जरिए शॉपिंग करने से बचें।
-स्नेपडील, अमेजन जैसी प्रतिष्ठित शॉपिंग साइट के नाम से मिलती जुलती साइट से शॉपिंग न करें।
– कोई भी लिंक के जरिए जेनयून शॉपिंग साइट पर न जाए।
-सीधे गूगल या ऐप के जरिए वेबसाइट पर जाकर की शॉपिंग करें।
– कोई नई शॉपिंग साइट पर जाए तो उसे वेरीफाई जरूर करें।
– बगैर वेरीफाई करे शॉपिंग साइट पर कभी भी अपने डिबेट, क्रेडिट कार्ड की जानकारी न दे।
– किसी भी प्रकार की लालच में न फंसे, सतर्कता की सावधानी है।

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