आदाह शर्मा का खुलासा: सुशांत के फ्लैट में रहने के लिए काटने पड़े कोर्ट के चक्कर

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फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के बाद अभिनेत्री अदा शर्मा (Adah Sharma) के सितारों की चाल बदल चुकी है। अब वह उस दौर को जी रही हैं, जिसका सपना उन्होंने 16 साल पहले हिंदी सिनेमा में पदार्पण के समय देखा था। डिज्नी प्लस हाटस्टार पर हालिया रिलीज  उनकी वेब सीरीज ‘रीता सान्याल’ (Reeta Sanyal) भी उसी सपने का हिस्सा है। अदा से उनके शो और उनके बदलाव के इस दौर के बारे में दीपेश पांडेय ने खास बातचीत की।

16 वर्ष पहले फिल्म ‘1920’ से जिन सपनों के साथ पदार्पण किया था, अब उन सपनों की तुलना में स्वयं को कहां पाती हैं?

जब ‘1920’ हिट हुई और दर्शकों का बहुत प्यार मिला था, तो मुझे लगा था कि अगले दिन मुझे ‘रीता सान्याल’, ‘द केरल स्टोरी’ और ‘बस्तर’ जैसे प्रोजेक्ट मिलेंगे, जो नहीं हुआ। जो चीजें दो दिन में पाने का सपना देखा था, उन्हें पाने में इतने साल लग गए, लेकिन मैं खुश हूं कि वो सपने अब पूरे हो रहे हैं।

‘द केरल स्टोरी’ के बाद ज्यादातर अपने कंधों पर ही आगे बढ़ाए जाने वाले प्रोजेक्ट करना क्या एक सोची-समझी रणनीति है?

यह रणनीति तो नहीं है, लेकिन मेरे लिए यह बहुत अच्छी बात है कि ‘द केरल स्टोरी’ के बाद लोगों को मुझ पर विश्वास हो गया है। मुझे केंद्र में रखकर प्रोजेक्ट बन रहे हैं। आगे मैं एक बहुत बड़ी फिल्म की सीक्वल करने जा रही हूं। मेरी कोशिश सिर्फ यही है कि प्रोजेक्ट में मैं जो भूमिका निभा रही हूं, वो अच्छे से लिखी गई हो और लोगों को याद रहे।

‘रीता सान्याल’ में इतने अलग-अलग लुक्स में आने और उसे प्रस्तुत करने की क्या चुनौतियां रहीं?

बतौर कलाकार यह आपका सपना होता है कि अलग-अलग लुक्स में पात्रों को निभाएं। मुझे इतना सब कुछ एक ही प्रोजेक्ट में करने के लिए मिला। रीता सान्याल के लुक समेत इस शो में मेरे दस लुक हैं। जिसमें फूड इंस्पेक्टर, सिक्योरिटी गार्ड, वेश्या, मछली बेचने वाली, अभिनेत्री समेत कई अतरंगी लुक्स हैं।

मेरी कोशिश रही है कि हर लुक में सिर्फ हेयरस्टाइल और मेकअप ही अलग न दिखे बल्कि बॉडी लैंग्वेज और बातचीत के स्टाइल भी अलग रहे। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि फिल्म ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ और वेब सीरीज ‘सनफ्लावर’ के बाद इस साल यह मेरी तीसरी फिल्म है।

फिल्म ‘कमांडो’ के बाद इस शो में आपने काफी एक्शन किया, इसमें आपकी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग कितना काम आती है?

एक्शन करने में मुझे मजा आता है। इस शो में मेरी भूमिका लार्जर दैन लाइफ है। जो चीजें असल जिंदगी में नहीं होती है, शो में वो सब करती है। फिल्म ‘कमांडो’ में मेरे ज्यादातर हाथों से लड़ाई वाले एक्शन सीन थे। इस शो में मैंने नानचाक और सिलंबम जैसी चीजों के साथ एक्शन किया है। उनकी ट्रेनिंग मैं अक्सर निजी जिंदगी में भी करती रहती हूं।

क्या कभी निजी जीवन में वकीलों और अदालत का सामना करना पड़ा है?

हां, कोई भी प्रोजेक्ट साइन करने से पहले हमारे हर कांट्रैक्ट पहले वकील ही पढ़ते हैं। ऐसे वकीलों से तो मेरा रोज सामना होता है। घर लेने के बाद उसके कागजों के लिए मुझे अदालत में जाना पड़ा था। वो काम घर बैठे ऑनलाइन भी कर सकते हैं, लेकिन अपने ब्रोकर के कहने पर मैंने अदालत में जाकर कागजों पर साइन किया। इससे पहले मेरे परिवार में किसी ने कोर्ट मैरिज की, तब मुझे जाना पड़ा था।

टिकट खिड़की पर ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’ उतना प्रभावित नहीं कर पाई, उसकी असफलता का क्या प्रभाव रहा?

बतौर अभिनेत्री मैं सिर्फ अपना काम कर सकती हूं, मुझे खुशी होती है जब मेरी फिल्म को अच्छे रिव्यू मिलते हैं और मेरे काम की प्रशंसा होती है। बाकी कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होती हैं। मैं सिर्फ अपने काम से मतलब रखती हूं कि मैं उसे कैसे बेहतर कर सकती हूं।

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