छत की दीवार बनाते ही बढ़ जाती है मूर्ति की ऊंचाई! 800 साल पुराने हनुमान मंदिर की रहस्यमयी कहानी

0

जालोर जिले के कानीवाड़ा गांव में स्थित एक हनुमान मंदिर अपनी चमत्कारी मूर्ति के कारण विशेष प्रसिद्ध है. लगभग आठ सौ साल पहले जमीन से प्रकट हुई इस मूर्ति में हनुमानजी पांव जोड़कर बैठे हैं और खास बात यह है कि यह मूर्ति सूर्यमुखी है, यानी सूर्य की ओर मुख करके विराजमान है. मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि हनुमानजी के सिर पर कोई छत नहीं है. जब भी मंदिर की दीवारों की ऊंचाई बढ़ाने की कोशिश की जाती है, हनुमान जी की मूर्ति की ऊंचाई भी अपने आप बढ़ने लगती है. इस चमत्कारी घटना ने मंदिर को विशेष पहचान दी है, जिससे इसे ‘चमत्कारिक हनुमान’ कहा जाता है.

जालोर स्टेशन से 10 किमी दूर है मंदिर
यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि उनकी हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है और इस मंदिर से उन्हें चमत्कारी अनुभव प्राप्त होते हैं. यह मंदिर जालोर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है और सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जालोर रेलवे स्टेशन भी 10 किलोमीटर की दूरी पर है. नेशनल हाइवे जालोर-जोधपुर से केवल 3 किलोमीटर पर स्थित यह मंदिर, भक्तों के लिए आसानी से पहुंचने योग्य है.

संतान प्राप्ति के लिए लोग मांगते हैं मन्नत
मंदिर के पुजारी हस्तीमल गर्ग ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि इस मंदिर में पीढ़ियों से दलित समाज के लोग पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. मंगलवार व शनिवार को यहां हनुमान जी की विशेष पूजा होती है और भक्तगण संतान प्राप्ति और अन्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. पुजारी हनुमान जी की गदा से भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. मंगलवार व शनिवार के दिन यहां मेला लगा रहता है, जहां जालौर से भक्तगढ़ पदयात्रा करके भी पहुंचते हैं.

मंदिर में आकर्षण यहां की 13 अखंड ज्योति है. मन्नत पूरी होने के बाद भक्त यहां अखंड ज्योत जलाते हैं, जिसे मंदिर के पुजारी नियमित रूप से घी और तेल से संभालते हैं. मंदिर में हनुमान जी के प्रसाद में बड़े मखाने का भोग लगता है और भक्तगण मूर्ति पर तेल सिंदूर और माली पन्ना चढ़ाते हैं।.

Leave A Reply

Your email address will not be published.