बिलासपुर । परिवार न्यायालय द्वारा पति के पक्ष में जारी तलाक के आदेश को हाईकोर्ट ने उचित ठहराया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी की डिवीजन बेंच ने परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने माना है कि, बिना किसी सबूत के महिला ने अपने पति पर मारपीट और चारित्रिक लांछन लगाया , यह क्रूरता की श्रेणी में आता है।याचिकाकर्ता महिला नगर निगम बिलासपुर में कार्यरत हैं। उसका विवाह 29 जनवरी 2003 को रतनपुर निवासी गुप्ता परिवार में त्रिवेणी भवन बिलासपुर में हिन्दू रीति-रिवाज से हुआ। विवाह के दौरान पत्नी के अपने पति से 10 साल बड़े होने की बात छिपाई गई। पति प्राइवेट दुकान में काम करता था। शादी के बाद पत्नी का लगातार अपने मायके आना- जाना लगा रहा। ज्यादातर वह अपने मायके में ही रहती थी। पति से इसी बात पर उसका विवाद होता था। पति एक दुकान में काम करता था। जब भी रात को साढ़े नौ बजे घर लौटता तो पत्नी उसे पैसों को लेकर भी ताना मारती थी। इसी बीच 3 जून 2004 को उनका एक बेटा भी हो गया। लेकिन पत्नी लगातार मायके में रहने लगी और इसी बात पर पति-पत्नी के बीच विवाद जारी रहा।
बच्चे का मुंडन पति द्वारिकाधीश गुजरात में कराना चाहता था। पहले पत्नी वहां जाने को तैयार हो गई, लेकिन बाद में उसने मना कर दिया। कुछ दिनों बाद पत्नी अपने बच्चे को लेकर मायके चली गई।
इसके बाद मुंडन संस्कार हुआ। पति की मर्जी के बिना गोंडपारा के मंदिर में कार्यक्रम किया। लेकिन इसमें पति और उसके परिवार के सदस्य आमंत्रित नहीं थे। इस संबन्ध में बात करने पर पत्नी और उसकी मां ने दुर्व्यवहार किया।
पत्नी द्वारा एक अन्य महिला के साथ पति का नाम जो?कर चारित्रिक लांछन भी लगाया जाता था। उन दोनों के बीच सुलह करने के लिए परिवार वालों ने प्रयास किया। इसके बाद सामाजिक बैठक हुई लेकिन पत्नी इसमें शामिल नहीं हुई। वर्ष 2012 में पति को लेने गया लेकिन पत्नी ने उसके साथ रहने से इंकार कर दिया। पति ने इसके बाद तलाक की अर्जी परिवार न्यायालय में दी। परिवार न्यायालय ने इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद पत्नी की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई, इसमें तलाक के फैसले को खारिज करने की मांग की गई।
पत्नी के आरोप पाए गलत, गुजारा भत्ता देने के निर्देश के साथ तलाक के निर्देश
पत्नी की अपील पर हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद परिवार न्ययालय के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने पाया कि, महिला ने अपने पति पर मारपीट और चारित्रिक लांछन के जो आरोप लगाए, वह मनगढंत है और उक्त आरोप को प्रमाणित करने के लिए, कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। डिवीजन बेंच ने विचारण के बाद आगे मुकदमेबाजी से दोनों पक्षों को बचाने के लिए महिला के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता स्वीकृत किया, लेकिन तलाक को उचित ठहराया।
Sign in
Sign in
Recover your password.
A password will be e-mailed to you.