पूनमदास मानिकपुरी, कोंडागांव। World Cancer Day : जीवन की कुछ घटनाएं किस तरह जीने का मकसद दे जाती हैं, यह शिक्षक दंपति नरेंद्र मरकाम और हेमलता मरकाम से समझा जा सकता है। अक्टूबर 2018 में नरेंद्र की मां लक्ष्मी बाई की गर्भाशय कैंसर से मौत हो गई। सितंबर 2019 में ममेरी बहन लड्डू कुमार (22) और इसके तीन माह बाद ही भाभी महंगी बाई की कैंसर से मौत हो गई।
कैंसर से मौत की इन घटनाओं ने नरेंद्र को विचलित कर दिया। वे इस नतीजे पर भी पहुंचे कि कहीं न कहीं जागरूकता की कमी के चलते यह हुआ। इसके बाद उन्होंने शिक्षक पत्नी हेमलता के साथ कैंसर जागरूकता का अभियान ही छेड़ दिया। स्कूलों-कालेजों में शिविर लगाने लगे। नरेंद्र के पिता ने जब बेटे-बहू के सेवा भाव को देखा तो अपने ईपीएफ का पूरी रकम निकालकर उन्हें एक एंबुलेंस खरीदकर भेंट कर दिया। फिर क्या था। फिर तो सेवा के इस सफर को जैसे पंख लग गए।
कोंडागांव के चिचाड़ी निवासी व ग्राम तितरवंड में संकुल समन्वयक नरेंद्र कहते हैं कि महिलाओं में कैंसर को लेकर जागरूकता की काफी कमी है। परिवार के तीन लोगों को खोने के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि यदि समय पर कैंसर का इलाज हो जाए तो जिंदगी बचाई जा सकती है। पत्नी हेमलता बांसकोट में सहायक शिक्षक हैं। स्कूल से छुट्टी होने के बाद दोनों गांव-गांव घूमकर विशेषकर महिलाओं को कैंसर के प्रति जागरूक करते हैं। अब तक वे 60 से अधिक शिविर लगा चुके हैं। वहीं 250 से अधिक कैंसर रोगियों को निश्शुल्क सेवा दे चुके हैं।
नरेंद्र ने बताया कि पत्नी के साथ भाग-दौड़ करते देख शिक्षक पद से सेवानिवृत्त पिता दौलीराम भी परेशान रहते थे। कैंसर के इलाज के लिए यहां से 200 किलोमीटर दूर रायपुर आने-जाने में होने वाला खर्च नहीं उठा पाने के कारण मौत हो जाया करती थी। लोग अपने वाहन में कैंसर के मरीजों बैठाकर अस्पताल ले जाने से बिचकते थे। ऐसे में वे एंबुलेंस खरीदना चाह रहे थे, लेकिन रकम नहीं जुटा पा रहे थे। यह बात जब पिता को पता चली तो उन्होंने जून 2020 में अपनी ईपीएफ की पूरी राशि निकालकर एंबुलेंस खरीदा और दान में दे दिया।
स्वयं के खर्च से चला रहे अभियान
नरेंद्र ने बताया कि अभियान के दौरान ही उन्हें कैंसर पीड़ित चार छात्राओं के बारे में पता चला, जो इलाज कराने में सक्षम नहीं थीं। उनका इलाज कराया। आज चारों स्वस्थ हैं। हेमलता ने बताया कि महिलाएं कैंसर के प्रति बिल्कुल भी जागरूक नहीं हैं। जानकारी और साफ-सफाई के अभाव में महिलाओं में ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर होता है। इसका प्राथमिक स्तर पर ही इलाज शुरू हो जाए तो जिंदगी बच जाती है। उन्होंने बताया कि जागरूकता अभियान और मरीजों को अस्पताल ले जाने-लाने के अलावा इलाज का भी हरसंभव खर्च वे स्वयं उठाते हैंं
World Cancer Day : मां और बहन की प्रेरणा से कैंसर पीड़ितों की सेवा में जिंदगी