हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले (Mandi District) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आपको बता दें कि अक्टूबर-2020 में एक नाबालिग लड़की (Minor girl) के पेट में दर्द हुआ था। लड़की (Girl) ने पेट दर्द होने पर अपनी मां को बताया था। इसके बाद मां जांच के लिए लड़की को अस्पताल (Hospital) ले गई। जांच के दौरान नाबालिग (Minor) के गर्भवती होने की बात सामने आई।
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आपको बता दें कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में गर्भ में चार से आठ सप्ताह का भ्रूण मिला था। डॉक्टरों ने नाबालिग के गर्भवती होने की बात उसकी मां को बताई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, घर आने के बाद लड़की की मां ने गर्भवती होने के बारे में पूछा तो लड़की ने मां को कुछ नहीं बताया। इसके बाद मां ने बेटी से फिर पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। हालांकि, शक के आधार पर मां ने एक युवक के विरुद्ध पुलिस के पास शिकायत दी।
इसके बाद पॉक्सो अधिनियम (Pocso Act) के अंतर्गत पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने जब दोबारा स्वास्थ्य संस्थान में नाबालिग की मेडिकल जांच करवाई तो भ्रूण नहीं मिला। पहली बार जांच करने वाले डॉक्टर इस बात से हैरान थे। रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस भी हैरान है।
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दोबारा जांच में नहीं मिला भ्रूण
आपको बता दें कि मामला हिमाचल हाईकोर्ट में जाने के बाद नाबालिग लड़की के गर्भ की दोबारा जांच कराई गई। लेकिन नाबालिग के गर्भ से चार सप्ताह का भ्रूण जांच में नहीं आया, इसकी पड़ताल अब सीआईडी (CID) करेगी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने मंडी जिले के इस मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपा है और जल्द रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में शक के आधार पर गिरफ्तार किए गए युवक को अदालत ने जमानत दे दी है।
अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर अपने बयान पर कायम
पुलिस के समक्ष भी नाबालिग ने युवक पर कोई आरोप नहीं लगाए थे। पुलिस को 60 दिन के अंदर कोर्ट में चालान पेश करना था। जांच में पुलिस को कुछ नहीं मिला तो क्लोजर रिपोर्ट तैयार हुई। लेकिन आरोपी युवक को जमानत नहीं मिली और वह जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचा।
अब युवक को जमानत मिल गई है, मगर नाबालिग के पेट से भ्रूण कहां, कैसे गायब हो गया, पुलिस इस बात का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। जांच करने वाले डॉक्टर अपने बयान पर कायम रहे। ऐसे में हाईकोर्ट ने सीआईडी को छानबीन का जिम्मा सौंपा है। हाईकोर्ट ने जल्द मामले की जांच करने को कहा है।
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